google.com, pub-8725611118255173, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Vyanjan Sandhi - व्यंजन संधि की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Vyanjan Sandhi – व्यंजन संधि की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Vyanjan Sandhi Kise Kahate Hain ( व्यंजन संधि किसे कहते हैं )

व्यंजन संधि शब्दों को जोड़ने का एक तरीका है जहाँ उनके मिलने से आवाज़ में थोड़ा बदलाव होता है. आसान शब्दों में कहें तो, जब दो शब्द जुड़ते हैं, तो उनके अंत और शुरुआत की ध्वनियाँ कभी-कभी मिलकर एक नई ध्वनि बना लेती हैं. इसी बदलाव को व्यंजन संधि कहते हैं.

उदाहरण के लिए, “नदी” और “इंद्र” शब्दों को मिलाकर “नदींद्र” बनाते हैं. यहाँ, “नदी” के अंत में “इ” स्वर है और “इंद्र” की शुरुआत में भी “इ” स्वर है. दोनों मिलकर “ई” की लंबी ध्वनि देते हैं, जिसे “ईंद्र” में लिखा जाता है.

व्यंजन संधि हिंदी भाषा को सुचारू रूप से बोलने और लिखने में मदद करती है.

Vyanjan Sandhi ki Paribhasha ( व्यंजन संधि की परिभाषा )

Vyanjan Sandhi ki Paribhasha ( व्यंजन संधि की परिभाषा )
Vyanjan Sandhi ki Paribhasha ( व्यंजन संधि की परिभाषा )

व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi) शब्दों में तब होती है जब दो व्यंजन एक साथ आते हैं, और उनके मिलने से उनमें से किसी एक या दोनों में ध्वनि परिवर्तन हो जाता है.  यह परिवर्तन इस बात पर निर्भर करता है कि वे कौन से व्यंजन हैं और वर्णमाला में वे एक दूसरे के सापेक्ष कहाँ स्थित हैं.

उदाहरण के लिए, देखें कि “क” का क्या होता है जब यह विभिन्न ध्वनियों के साथ मिलता है:

क + र = ग्र (उदाहरण: कर्म -> ग्रंथ)

क + व = ग्व (उदाहरण: कार्य -> गव्य)

क + अ = ग (उदाहरण: खेल + अखाड़ा = खेलखाड़ा)

व्यंजन संधि हिंदी वर्तनी का एक महत्वपूर्ण अंग है, और इसे सही ढंग से लिखने और बोलने के लिए इसकी समझ आवश्यक है.

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Vyanjan Sandhi ke Bhed ( व्यंजन संधि के भेद )

व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi) शब्दों को जोड़ने पर होने वाले वर्ण परिवर्तन को कहते हैं. इसमें मुख्य रूप से दो वर्णों का मेल होता है – पहला शब्द का अंतिम व्यंजन और दूसरा शब्द का प्रथम वर्ण. इनके मिलने से कभी नए वर्ण बनते हैं तो कभी वर्णों के उच्चारण में थोड़ा बदलाव होता है.

व्यंजन संधि के कई भेद हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

घोष-अघोष संधि (Ghosha-Aghosha Sandhi)

जब किसी शब्द के अंत में अघोष व्यंजन (क, च, ट, त, प) होता है और बाद वाले शब्द में स्वर या घोष व्यंजन (ग, ज, ब, द, आदि) आता है, तो अघोष व्यंजन अपने घोष रूप में बदल जाता है. उदाहरण के लिए:

राधा + किशन = राधाकिशन (k + k = g)

वक्त +व्यक्त = वक्तव्यक्त (t + v = d)

स्पर्शी-इष्म संधि (Sparshi-Ishma Sandhi)

जब किसी शब्द के अंत में त या द होता है और बाद वाले शब्द में च, छ, ज या झ आता है, तो त या द के स्थान पर च हो जाता है. उदाहरण के लिए:

भारत + चंद्र = भारतचंद्र (t + ch = ch)

सिद्ध + जंतु = सिद्धजंतु (d + j = j)

अनुनासिक संधि (Anunasik Sandhi)

जब किसी शब्द के अंत में व्यंजन होता है और बाद वाले शब्द में अनुस्वार (ं) आता है, तो वह व्यंजन अपने अनुनासिक रूप में बदल जाता है. उदाहरण के लिए:

हाथ + में = हाथों (th + ṁ = n)

मन + मोहन = मनमोहन (n + ṁ = ṁ)

विसर्ग संधि (Visarga Sandhi)

जब किसी शब्द के अंत में विसर्ग (ः) होता है और बाद वाले शब्द में स्वर या ह के अलावा कोई व्यंजन आता है, तो विसर्ग लोप हो जाता है.  लेकिन, अगर बाद वाले शब्द में स्वर या ह आता है, तो विसर्ग को उसी तरह से लिखा जाता है और उसी तरह से बोला जाता है. उदाहरण के लिए:

राज + पुत्र = राजपुत्र (ḥ + p = put)

राधा + आहट = राधाआहट (ḥ + ā = hā)

ये कुछ प्रमुख व्यंजन संधि( Vyanjan Sandhi) के भेद हैं. हिंदी व्याकरण में व्यंजन संधि के और भी कई नियम हैं, जिन्हें आप किसी अच्छी हिंदी व्याकरण की किताब या वेबसाइट से अधिक विस्तार से सीख सकते हैं.

Vyanjan Sandhi ke Udaharan ( व्यंजन संधि के उदाहरन )


व्यंजन संधि का उदाहरण देने के लिए, यहाँ कुछ उदाहरण हैं:

  1. प्रत्येक + अर्थ = प्रत्यार्थ (जैसे, प्रत्येक + अर्थ = प्रत्यार्थ)
  2. उत्तम + अग्र = उत्तमाग्र (जैसे, उत्तम + अग्र = उत्तमाग्र)
  3. अधिक + उत्तम = अधिकोत्तम (जैसे, अधिक + उत्तम = अधिकोत्तम)
  4. राज + इंद्र = राजेंद्र (जैसे, राज + इंद्र = राजेंद्र)

वर्गो के पहले वर्णों में परिवर्तन:

  • क + ग = ग्ग (दिक् + गज = दिग्गज)
  • क + ई = गी (वाक् + ईश = वागीश)
  • च् + अ = ज् (अच् + अंत = अजंत)
  • ट् + आ = डा (षट् + आनन = षडानन)
  • प + र = ब्र (अप + र मेघ = अब्बर मेघ)

अनुनासिक व्यंजन संधि:

  • तत् + रूप = तद्रूप (तत् के अंत में स्थित ‘त’ का ‘द्’ में रूपांतर)
  • जन + मत = जनमत (जन के अंत में स्थित ‘न’ का ‘म्’ में रूपांतर)

वर्णों का लोप:

  • राजा + इंद्र = राजेन्द्र (राजा के अंत में स्थित ‘अ’ का लोप)

अन्य उदाहरण:

  • सत् + यम = सत्यम (यम से पहले ‘त्’ का ‘त्य’ में रूपांतर)
  • राष्ट्र +हित = राष्ट्रहित (र से पहले ‘ष्’ हो जाता है)

ये कुछ उदाहरण हैं, व्यंजन संधि ( Vyanjan Sandhi) के और भी कई नियम हैं जिनको आप हिंदी व्याकरण की किताबों में विस्तार से पढ़ सकते हैं।

ये उदाहरण हैं जो व्यंजन संधि को दिखाते हैं, जहाँ दो व्यंजनों का मेल होकर नया व्यंजन बनाता है।

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