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Sandhi – संधि की परिभाषा, भेद, और उदाहरण

संधि शब्द का अर्थ है “मेल” या “जोड़”। व्याकरण में, जब दो शब्दों या वर्णों को मिलाकर एक नया शब्द बनता है, तो उसे संधि कहते हैं। संधि भाषा विज्ञान में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो शब्दों के आपसी मिलन को समझाती है।

दो या दो से अधिक शब्दों के मिलन से उनमें जो अंतर्भाव होता है, उसे संधि कहते हैं।

Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain (संधि के कितने भेद होते हैं)
Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain (संधि के कितने भेद होते हैं)

संधि दो प्रकार की होती है:

  1. स्वर संधि: जब दो स्वरों का मेल होता है, तो उसे स्वर संधि कहते हैं।
  2. व्यंजन संधि: जब दो व्यंजनों का मेल होता है, तो उसे व्यंजन संधि कहते हैं।

स्वर संधि सिर्फ दो स्वरों के मिलने से होने वाला बदलाव नहीं है, बल्कि यह उन स्वरों के उच्चारण को सुगम और सुंदर बनाने की एक प्रक्रिया है।

जब दो शब्दों को जोड़कर एक नया शब्द बनाते हैं, तो कभी-कभी उनके अंत में आने वाले स्वर मिल जाते हैं। ऐसे में ये स्वर आपस में मिलकर अपना रूप बदल लेते हैं, जिससे नया शब्द बोलने में आसान हो जाता है।

स्वर संधि के कुछ उदाहरण देखें, जो उपरोक्त बिंदुओं को स्पष्ट करते हैं:

  • दीर्घीकरण: जब दो समान स्वर मिलते हैं, तो वे एक दीर्घ स्वर बन जाते हैं। यह उच्चारण को आसान बनाता है। उदाहरण:
    • राजा (ह्रस्व “अ”) + इंद्र (ह्रस्व “इ”) = राजेंद्र (दीर्घ “ए”)
    • गंगा (ह्रस्व “अ”) + जल (ह्रस्व “अ”) = गंगाजल (दीर्घ “आ”)
  • स्वर परिवर्तन: कभी-कभी, एक स्वर अपना रूप बदल लेता है ताकि दूसरे स्वर के साथ मिलकर सुंदर ध्वनि पैदा करे। उदाहरण:
    • राजा (ह्रस्व “अ”) + उदार (दीर्घ “उ”) = राजोदार (ह्रस्व “ओ”)
  1. नदी + ईश = नदीश
  2. मही + ईश = महीश
  3. गंगा + आलय = गंगालय
  4. महा + आत्मा = महात्मा
  5. राजा + इंद्र = राजेंद्र
  6. गंगा + उतर = गंगोत्री
  7. पति + ईश्वर = पतियेश्वर
  8. जय + उज्ज्वल = जयोज्ज्वल
  9. देव + इंद्र = देवेंद्र
  10. भानु + उदय = भानूदय
  11. नर + ईश = नरेश
  12. शिव + अयोध्या = शिवोदय
  13. राजा + यश = राजायश
  14. गंगा + यमुना = गंगा-यमुना
  15. दान + यज्ञ = दानयज्ञ
  16. भक्त + यति = भक्त्याति
  17. नौ + इक = नाविक
  18. भो + अन = भवन
  19. गो + ईश्वर = गोश्वर
  20. रवि + इंद्र = रविंद्र
Swar Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain (स्वर संधि के कितने भेद होते हैं?)
Swar Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain (स्वर संधि के कितने भेद होते हैं?)

स्वर संधि के पांच मुख्य भेद होते हैं:

जब दो समान स्वर मिलते हैं, तो वे एक दीर्घ स्वर बन जाते हैं।

उदाहरण:

  • नदी + ईश = नदीश (ह्रस्व “इ” + ह्रस्व “इ” = दीर्घ “ई”)

जब “अ” स्वर के बाद “इ” या “उ” स्वर आता है, तो “अ” स्वर “गुण” हो जाता है।

उदाहरण:

  • राजा + इंद्र = राजेंद्र (ह्रस्व “अ” + ह्रस्व “इ” = गुण “ए”)

जब “अ” स्वर के बाद “ए” या “ओ” स्वर आता है, तो “अ” स्वर “वृद्धि” हो जाता है।

उदाहरण:

  • देव + इंद्र = देवेंद्र (ह्रस्व “अ” + ह्रस्व “ए” = वृद्धि “ए”)

जब “इ” या “ई” स्वर के बाद कोई अन्य स्वर आता है, तो “इ” या “ई” स्वर “य” बन जाता है।

उदाहरण:

  • राजा + यश = राजायश (ह्रस्व “इ” + ह्रस्व “अ” = “य”)

जब “अ” स्वर के बाद कोई अन्य स्वर आता है, तो “अ” स्वर “आ” बन जाता है।

उदाहरण:

  • राजा + इंद्र = राजा-इंद्र (ह्रस्व “अ” + ह्रस्व “इ” = “आ”)

व्यंजन संधि शब्द का अर्थ है “व्यंजनों का मिलन”। जब दो शब्दों या वर्णों को मिलाकर एक नया शब्द बनता है, तो उनमें आने वाले व्यंजनों में कभी-कभी परिवर्तन हो जाता है। इस परिवर्तन को व्यंजन संधि कहते हैं।

व्यंजन संधि का अध्ययन भाषा सीखने और समझने के लिए महत्वपूर्ण है।

व्यंजन संधि के कुछ मुख्य नियम और अपवाद हैं।

यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

  • स्पर्श व्यंजन + स्पर्श व्यंजन:
    • जब दो स्पर्श व्यंजन मिलते हैं, तो पहले व्यंजन का वर्ग बदल जाता है। उदाहरण:
      • त् + प = द्प (अंत + पात = अंतपात)
      • क् + त = ख् त (अंक + त = अंकत)
  • स्पर्श व्यंजन + अंतःस्थ व्यंजन:
    • जब कोई स्पर्श व्यंजन अंतःस्थ व्यंजन से मिलता है, तो स्पर्श व्यंजन अनुनासिक हो जाता है। उदाहरण:
      • न् + य = ञ् य (अनु + य = अनुय)
      • म् + र = ञ् र (अमर + र = अमर)
  • अंतःस्थ व्यंजन + अंतःस्थ व्यंजन:
    • जब दो अंतःस्थ व्यंजन मिलते हैं, तो वे एक हो जाते हैं। उदाहरण:
      • य + य = य (यय + य = यया)
      • र + र = र (रर + र = ररा)
  1. सत + पराक्रम = सत्त्व
  2. तन + धन = तद्भव
  3. उच्च + भाव = उच्चभाव
  4. नर + मित्र = नर्मित्र
  5. युद्ध + रथ = युद्धरथ
  6. अधम + लोभ = अधमलोभ
  7. मय + य = मय
  8. रण + राग = रणराग
  9. राजन् + ईश = राजेश
  10. मन + मोहन = मनमोहन
Vyanjan Sandhi Ke Bhed (व्यंजन संधि के भेद)
Vyanjan Sandhi Ke Bhed (व्यंजन संधि के भेद)

व्यंजन संधि के मुख्यतः पांच भेद होते हैं:

जब दो स्पर्श व्यंजन मिलते हैं, तो पहले व्यंजन का वर्ग बदल जाता है।

  • उदाहरण:
    • अंक + त = अंकत (क वर्ग का क, ख वर्ग के त से मिलकर ख बन गया)
    • अंत + पात = अंतपात (त वर्ग का त, प वर्ग के प से मिलकर द बन गया)

जब कोई स्पर्श व्यंजन अंतःस्थ व्यंजन (य, र, ल, व) से मिलता है, तो स्पर्श व्यंजन सामान्यतः अनुनासिक हो जाता है।

  • उदाहरण:
    • अनु + य = अनुय (न वर्ग का न, अनुनासिक ण बन गया)
    • अमर + र = अमर (म वर्ग का म, अनुनासिक ं बन गया)

जब विसर्ग (ः) के बाद स्वर या व्यंजन आता है, तो विसर्ग में भी परिवर्तन हो सकता है।

  • उदाहरण:
    • वाक: + ईश = वागीश (विसर्गः + ई = ई बन गया)

जब उपसर्ग किसी शब्द से जुड़ता है, तो उपसर्ग में भी परिवर्तन हो सकता है।

  • उदाहरण:
    • अ + तप = अपतप (अकार का अ, आ बन गया)

जब प्रत्यय किसी शब्द से जुड़ता है, तो प्रत्यय में भी परिवर्तन हो सकता है।

  • उदाहरण:
    • राजा + तन = राजतन (यकार का य, ा बन गया)

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बाल + अवस्था = बाल्यावस्था

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