Granth Hamare Guru Hindi Nibandh
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आज से कुछ वर्ष पहले तक मोबाईल टी.वी नहीं हुआ करते तो मनुष्य अपने बचे समय का सदुपयोग करने के लिए विविध ग्रंथ पढ़ता था। इससे वह केवल ज्ञान ही नही जीवन के काफी मूल्यों को सीखता था और एक बेहतर जीवन की ओर प्रस्थान करता था।
परंतु आज के युग में हमारी पीढ़ी व्याकुल यानि विकर्षित हो चुका है कि वे अपनो लक्ष्य को छोड़कर आज के विलक्षित करने वाले वस्तुओं के पीछे भागकर अपने जीवन को बर्बाद कर रही है।
इससे बचने के लिए आज फिर से हमारी पीढ़ी को ग्रंथों की ओर बढ़ना होगा। ग्रंथ उस गुरू की भांति है जो हम जैसे विकर्षित व्यक्तित्वो को एकाग्र बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाएगा। ग्रंथों से हमें जो ज्ञान प्राप्त होता है वो हमे हमेशा हमें अपने आप से बेहतर बनाता है चाहे वह वैज्ञानिक, साहित्य या फिर आध्यात्मिक रूप ही क्यों न हो।
जीवन के सबसे उच्च गुरू होते है । हमारे माता-पिता, अनुभव और ग्रंथ। अनुभव सिखाने के लिए समय ज्यादा लगाता है परंतु उसकी सीख सबसे प्रभावशाली होती है। परंतु ग्रंथ अपने आप में कई वर्षों के अनुभव समाई रखती है। जिससे हम बहुत कम समय में बहुत ज्ञान प्राप्त कर सकते है।
“किताबों में इतना खजाना छुपा हुआ है जितना कोई लुटेरा लूट नहीं सकता।“
ग्रंथों को उन लेखकों ने लिखा होता है जिन्होंने अपने जीवन में काफी अनुभव पाया होता है चाहे वह अच्छा या बुरा हो। इसीलिए ग्रंथों को पढ़ने से हम वो चीज़ सीख सकते जो हमें अनुभव भी नहीं सिखा सकता। इससे मनुष्य सफलताओं के उस शीर्ष को छू सकता है जिसे मनुष्य सोच भी नहीं सकता।
इसीलिए ग्रंथों को गुरू का दर्जा दिया जाता है इसीलिए क्योंकि उसके जैसा ज्ञान और मूल्य हमें कोई व्यक्ति नहीं सिखा सकता। वैसे भी भारत तो ग्रंथों का ही देश है। इसीलिए हमारी पीढ़ी के पास किताबों की कोई कमी नहीं है। तो चलिए ग्रंथों के ज्ञान के रस को ग्रहन करें।
”जो लोग पढ़ सकते हैं, वे दुगने रूप में बेहतर देख सकते हैं।”
–Mukund Choudhary
(St. Josephs, Navi Mumbai)
Reference: gyangenix