” नए बदलते भारत में बदल लो अपनी सोच, बेटियाँ बनती है सहारा नहीं होती है बोझ।”
भारत में सदियों से महिलाओं को शिक्षा एवं समाज में बराबरी के अधिकार से वंचित रखा गया था पर आज संवैधानिक अधिकार के तहत बेटियों ने अपनी प्रतिभा से देश का नाम रोशन करने भारत की लाखो में कामयाब हुई तब जाकर सरकार ने भी लोगों को जागरूक करने हेतू बचाओं बेटी पढाओ संचालन प्रारंभ किया।
भारतीय हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार स्त्रियों को देवी एवं सृष्टि निर्माता कहा गया है वही पर अनेको कुप्रथा एवं संस्कारो की जंजीरों में उनके पैरों को बांधा गया है। बेटी होने पर पिता की आज्ञा का पालन करना, पत्नी बनने पर पति के इशारों पर चलना, माँ बनने पर बच्चों का पालन पोषण करना तथा मर्यादा को कायम रखते हुए घर की चारदीवारी में कैद रहना में कैद रहना ही उनका कर्तव्य माना जाता था। आज भी भारत के कई हिस्सों में स्त्रियों को ऐसी कठोर प्रथा का पालन करना पड़ रहा है।
भारत में आदिकाल से ही महिलाओं का सम्मान किया जाता था, लेकिन विदेशी आक्रमणकारियों के कारण भारत में महिलाओं की स्थिती काफी खराब हो गई।
‘ इतनी खुशियाँ लायेंगी की समेट नहीं पाओगे
लेकिन ये तब ही होगा जब तुम बेटियों को बचाओगे”।
हमारे देश में बेटियों की क्षमता को कम समझा जाता है। ऐसी बहुत सारी लड़कियाँ है जो शिक्षा से वंचित है। उन्हें घरेलू कामों में व्यस्त रखा जाता है, उनके मन में पढ़ने की तीव्र इच्छा होती है मगर फोर भी उन्हें शिक्षा प्राप्त करने की इजाजत नहीं दी जाती। अगर भारत की स्त्रियों और लड़कियों को सही शिक्षा दी तो भारत देश दुनिया में सबसे विकसीत देश होगा। लडकियाँ बहुत भावनात्मक होती है वह अपने माता-पिता को हमेशा खुश देखना चाहती है। उसके लिए वह किसी भी मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार रहती है। एक शिक्षित लड़की अपने माता-पिता की सारी खुशियाँ देती है जितना शिक्षित लड़के भी नहीं दे पाते। जब परिवार को पता चलता की घर में बेटी पैदा होने वाली है, तब वह जब माँ के पेट में पल रही होती है तब ही उसे मार देते है। इसी कारण भारत में स्त्रियों की संख्या कम हो रही है। जब लडकियाँ 13-14 साल की हो जाती है; तब गाँव में उनकी शादी करवाते है, उसके बाद उन्हें लैंगिक शोषण का भी सामना करना पड़ता है।
” अगर बेटा एक अभिमान है, तो बेटियाँ भी वरदान है”।
जब बेटा पैदा होता है तो उसे बहुत सारा लाड प्यार दिया जाता है और पूरे परिवार को उसका अभिमान होता है। फिर वह बेटा बड़ा होकर पुरे परिवार को परेशान करे या बरबाद करे, फिर भी वह कुछ नहीं कहते। अगर लड़की छोटी गलती कर देती है, तो उसे बहुत कोसा जाता है। लड़कियाँ और बेटियाँ भगवान ने दी हुई एक वरदान होती है। हमारे भारतभूमी पर बहुत बहादुर लड़कियों ने जन्म लिया। कल्पना चावला जिन्होंने चाँद पर कदम रखा और देश का नाम हर कोने में पहुँचाया। गुंजन सक्सेना जो कारगील वॉर के समय हवाई जहाज से जवानों को बचाने में कामयाब रही, गीता और बबीता फोगाट जिन्होंने कुस्ती में गोल्ड मेडल भारत के नाम किया। यह सारी भारत की महान बेटियाँ है और इन जैसे बहुत सारी नारीयाँ है। आज के युग में स्त्रिया हर कार्यक्षेत्र में नजर आती है।
” बेटी है कुदरत का अनमोल उपहार
जीने और पढने का भी दो अधिकार”
— Mitali Mali
(St. Josephs, Navi Mumbai)