“सपना जन्मा और मर गया,
मधु ऋतु में ही बाग़ झर गया,
तिनके टूटे हुए बटोरूँ या नवसृष्टि सजाऊँ मैं?
राह कौन-सी जाऊँ मैं?”
यह बोल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हैं। अटल बिहारी वाजपेयी मेरे प्रिय नेता हैं। वे एक महान राजनेता, कवि और लेखक थे। उन्होंने भारत को एक मजबूत और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था। उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनसंघ (भाजपा) से की। वे 1957 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए।
वाजपेयी जी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्होंने 1996, 1998 और 1999 में तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में, भारत ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता शुरू की और कश्मीर समस्या को हल करने के लिए प्रयास किए। उन्होंने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में भी स्थापित किया।
वाजपेयी जी एक महान कवि और लेखक भी थे। उन्होंने कई कविताएं और निबंध लिखे। उनकी कविताओं में देशभक्ति और मानवता की भावना झलकती है।
वाजपेयी जी एक प्रेरणादायक व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन से हमें यह सिखाया कि कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। वे एक महान नेता और एक महान इंसान थे।
“टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ“
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