Mahakavi Kalidas Sanskrit Nibandh
पुरा कवीनां गणनाप्रसङ्गे कनिष्ठिकाधिष्ठितकालिदासः ।
अद्यापि तत्तुल्यकवेरभावात् अनामिका सार्थवती बभूव।।
संस्कृतसाहित्ये सर्वेषु कविषु रसिकप्रियः श्रेष्ठ च कविः कालिदासः । सः मम अपि प्रियः । विक्रमोर्वशीय, मालविकाग्निमित्र तथा अभिज्ञान- शाकुन्तलम् इति त्रयं नाटक सः रचितम्। कालिदेव्याः प्रसादेन एषः काव्यप्रतिभालब्धवान् प्रचलति ।
कालिदासः उपमाप्रयोगे अतीव कुशलः आसीत्। इन्दुमतीस्वयंवरवर्णने तेन प्रयुक्ता दीपशिखाया उपमा रसिकेभ्यः बहु अरोचत। ‘उपमा कालिदासस्य’ एतदपि तस्य विषये कथ्यते ग्रंथं ।
अन्यः कविः महाकविना कालिदासेन तुल्यः न जातः । अतः कश्चित् पंडितः सत्यं वर्णयति |
Hindi Tanslation
अतीत में, जब कवियों की गिनती की बात आती थी, तो कालिदास सबसे कम उम्र के थे।
आज भी उनके समकक्ष कवि के अभाव में अनामिका सार्थक हो गयीं।
संस्कृत साहित्य के सभी कवियों में कालिदास सबसे प्रिय और सर्वश्रेष्ठ हैं वह मेरा भी पसंदीदा है। उन्होंने तीन नाटक लिखे, विक्रमोर्वशीय, मालविकाग्निमित्र और अभिज्ञान-शकुंतला। कालीदेवी की कृपा से उनमें काव्य की प्रतिभा आ गई और अब वे काव्य-साधना कर रहे हैं
कालिदास रूपकों के प्रयोग में बहुत कुशल थे। इंदुमती स्वयंवर के वर्णन में उनके द्वारा प्रयुक्त दीपक की लौ का रूपक पारखी लोगों को पसंद आया। ‘उपमा कालिदास’ भी उनके बारे में एक रचना है।
महाकवि कालिदास के बराबर कोई दूसरा कवि नहीं हुआ। तो कोई विद्वान सत्य का वर्णन करता है
English Tanslation
In the past, when it came to counting the poets, Kalidasa was the youngest. Even today, in the absence of an equal poet, Anamika has become meaningful.
Among all the poets of Sanskrit literature, Kalidas is the most beloved and best, he is also my favourite. He wrote three plays, Vikramorvashiya, Malavikagnimitra, and Abhijnana-Shakuntala. By the grace of Kalidevi, he developed the talent of poetry and now he is practicing poetry.
Kalidas was very skilled in the use of metaphors. The connoisseurs liked the metaphor of the lamp flame used by him in the description of Indumati Swayamvar. ‘Upma Kalidas’ is also a composition about him.
There was no other poet equal to the great poet Kalidas. So any scholar is a true
Marathi Tanslation
पूर्वी कवींची गणती केली तर कालिदास हा सर्वात लहान होता. आजही तितक्याच कवीच्या अनुपस्थितीत अनामिका सार्थ ठरली आहे.
संस्कृत साहित्यातील सर्व कवींमध्ये कालिदास हे सर्वांत प्रिय आणि सर्वोत्कृष्ट आहेत, ते माझे आवडतेही आहेत. त्यांनी विक्रमोर्वशीय, मालविकाग्निमित्र आणि अभिज्ञान-शकुंतला ही तीन नाटके लिहिली. कालीदेवींच्या कृपेने त्यांच्यात काव्यप्रतिभेचा विकास झाला आणि आता ते काव्याचा सराव करत आहेत.
कालिदास हे रूपकांच्या वापरात तरबेज होते. इंदुमती स्वयंवरांच्या वर्णनात त्यांनी वापरलेले दीपज्योतीचे रूपक रसिकांना आवडले. ‘उपमा कालिदास’ हीही त्यांच्याबद्दलची रचना आहे.