अलंकार की परिभाषा (Alankar Ki Paribhasha – Figures of Speech)
अलंकार संस्कृति और सौंदर्य को साकार करने वाले व्याकरणीय तत्वों में से एक है। इसका अर्थ है ‘सजावट’ या ‘सुषमा’। भाषा में रस, भावना और भाव को उचित रूप से व्यक्त करने के लिए अलंकार का उपयोग किया जाता है।
अलंकार भाषा की सुंदरता को बढ़ाने वाले प्रयोग होते हैं, जो वाक्य, पद या शब्दों को सुंदर और रमणीय बनाते हैं। इनमें विलोम, योजना, उल्लेखन, अपेक्षा आदि शामिल हैं।
उदाहरण के रूप में, अलंकार का एक उत्कृष्ट उपयोग विलोम अलंकार होता है, जैसे:
“सुख के लिए दुःख”। यहाँ ‘सुख’ और ‘दुःख’ के विरोधाभास के कारण वाक्य में सुंदरता और ध्वनि उत्पन्न होती है।
अलंकार भाषा को सुंदरता और विविधता देते हैं और भाषा को रंगीन बनाने में मदद करते हैं। ये भाषा के प्रयोग में चर्चित और अद्वितीय तत्व होते हैं, जो पाठकों और श्रोताओं को आकर्षित करते हैं और उन्हें भाषा की सुंदरता का आनंद देते हैं।
अलंकार की भेद (Alankar Ke Bhed)
अलंकार की भेद – शब्दालंकार, अर्थालंकार, और उभयालंकार हिंदी व्याकरण में महत्त्वपूर्ण अंग हैं। ये विभिन्न तरीकों से भाषा को सुंदर, गहरा, और व्यावसायिक बनाते हैं, जिससे वाक्यों का आकर्षण और अर्थपूर्णता बढ़ती है।
शब्दालंकार
शब्दालंकार भाषा में विभिन्न शब्दों के व्यापक और सुन्दर उपयोग को संकेतित करता है। यह वाक्य, पद या शब्दों की सुंदरता, रंगीनीता और रस बढ़ाने में सहायक होता है।
इसका प्रयोग वाक्य में छंद, गुंजन, उपमा, अलंकारिक शब्दों के साथ किया जाता है जो भाषा को रमणीय बनाते हैं।
शब्दालंकार के भेद (Shabdalankar Ke Bhed)
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- पुनरुक्ति अलंकार
- वीप्सा अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
- श्लेष अलंकार
अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar)
अनुप्रास अलंकार एक शब्दिक अलंकार है जिसमें एक ही ध्वनि या अक्षर की पुनरावृत्ति से भाषा में रस और सौंदर्य का सृजन होता है। यह अलंकार वाक्यों और पदों को मधुर और रोमांचक बनाने में मदद करता है।
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण (Anupras Alankar)
- “वह चाँदनी है, उसका चेहरा चाँद से भी चमकता है।”
- “सुनी बैलगाड़ी की चाल, मनोहर थी वह बालकनी में।”
- “आओ मिलकर मिलकर गाएं, खुशियों में जीवन भर का संगीत बजाएं।”
- “बिजली की चमक, बादल की गरजन, मौसम बदल गया पल-पल के संग।”
- “धूप की चमक, प्रकाश की वह बरक्सी, दिल को भावनाओं में डूबा देती है।”
ये उदाहरण दिखाते हैं कि अनुप्रास अलंकार में एक ही ध्वनि या अक्षर की पुनरावृत्ति से भाषा में सौंदर्य और रस की उत्कृष्टता को बढ़ावा दिया जाता है।
अनुप्रास अलंकार के भेद (Anupras Alankar ke Bhed)
स्वरानुप्रास: इसमें शब्दों के स्वरों की पुनरावृत्ति होती है, जैसे – “बाल्टी, माल्टी, थाल्टी, चाल्टी”.
- व्यंजनानुप्रास: इसमें शब्दों के व्यंजनों की पुनरावृत्ति होती है, जैसे – “पार्क, कार्क, धार्मिक, सार्मिक”.
- अक्षरानुप्रास: इसमें शब्दों के अक्षरों की पुनरावृत्ति होती है, जैसे – “रात, तारा, चाँद, वाता”.
- शब्दानुप्रास: इसमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति होती है, जैसे – “सिक्का, छिप्पा, खिलोना, जिन्न”.
ये भेद अनुप्रास अलंकार के विभिन्न प्रकारों को दर्शाते हैं और भाषा में सौंदर्य और ध्वनि की सुंदरता को बढ़ावा देते हैं।
यमक अलंकार (Yamak Alankar)
यमक अलंकार एक विशेष प्रकार का शब्दालंकार है जिसमें एक ही शब्द के विभिन्न अर्थों का प्रयोग होता है। यह अलंकार शब्दों को अनेक अर्थों में प्रयोग करके वाक्य को रोमांचक और विशेष बनाता है। यमक अलंकार वाक्यांशों को रंगीन बनाने में सहायक होता है, जिससे उनमें सौंदर्य और विविधता आती है।
यमक अलंकार के कुछ उदाहरण हैं:
- “धूप में भीगा पंख, ज्यादा देर तक उसे जलाएं नहीं।” – यहाँ ‘पंख’ का एक अर्थ पतंग है, लेकिन यहाँ इसे पक्षी के पंख के रूप में भी देखा गया है।
- “जिन्होंने धर्म की रक्षा की, उन्हें राजनीति में भी माना जाता है।” – यहाँ ‘राजनीति’ का एक अर्थ धर्म है, लेकिन इसे समाज की राजनीति के रूप में भी व्याख्या किया गया है।
यमक अलंकार में एक ही शब्द के विभिन्न अर्थों का उपयोग होता है, जो वाक्य को रोमांचक बनाने में मदद करता है। यह अलंकार भाषा में विविधता और मनोहारी व्याख्याओं को उत्पन्न करता है।
पुनरुक्ति अलंकार (Punrukti Alankar)
पुनरुक्ति अलंकार एक शब्दालंकार है जिसमें किसी शब्द की दोहराई होती है, जिससे वाक्य को सुंदर और प्रभावशाली बनाया जाता है। यह अलंकार भाषा में विविधता और रंगीनीता लाता है।
पुनरुक्ति अलंकार के कुछ उदाहरण हैं:
- “अंधेरी रातों में चमकती एक छोटी सी रोशनी।” – यहाँ ‘रातों’ और ‘रोशनी’ शब्द की पुनरुक्ति होती है।
- “वहाँ था जो तुम्हें चाहिए, जो तुम्हें पाने की आस है।” – यहाँ ‘तुम्हें’ शब्द की पुनरुक्ति होती है।
पुनरुक्ति अलंकार में एक ही शब्द की दोहराई से भाषा में सौंदर्य और प्रभाव बढ़ाया जाता है। यह अलंकार वाक्यों को मनोहारी और प्रभावशाली बनाता है।
वीप्सा अलंकार (Vipsa Alankar)
वीप्सा अलंकार एक शब्दालंकार है जो दो अर्थों को प्रस्तुत करने के लिए शब्दों का प्रयोग करता है। इस अलंकार में शब्दों का उपयोग दो अर्थों की प्रस्तुति के लिए होता है और इससे वाक्य में रंग और विचारों की गहराई बढ़ती है।
वीप्सा अलंकार के कुछ उदाहरण हैं:
- “खेत में अच्छा माहौल है, जो विद्यार्थी भी पढ़ाई कर रहे हैं।” – यहाँ ‘खेत’ का एक अर्थ खेत होता है, और दूसरा अर्थ विद्यालय का ‘खेत’ होता है।
- “वह बच्चा स्कूल नहीं जाता, जो बुरी तरह पढ़ाई करता है।” – यहाँ ‘स्कूल’ का एक अर्थ शैक्षिक संस्थान होता है, और दूसरा अर्थ ‘स्कूल’ का भूतकाल होता है।
वीप्सा अलंकार में शब्दों का दो अर्थों में प्रयोग होता है, जो वाक्य को सुंदरता और विचारों की गहराई से भर देता है। यह अलंकार भाषा में विविधता और रंग लाता है।
वक्रोक्ति अलंकार (Vakrokti Alankar)
वक्रोक्ति अलंकार एक विशेष प्रकार का शब्दालंकार है जिसमें शब्दों का उपयोग अत्यंत विचित्र और अनोखे रूप में होता है, जो वाक्य को सुंदर बनाता है। इसमें शब्दों का अपर्याप्त अर्थ या अनुचित अर्थ प्रस्तुत किया जाता है, जिससे वाक्य को विशेषता मिलती है।
काकु और श्लेष वक्रोक्ति अलंकार के दो प्रमुख भेद हैं:
काकु वक्रोक्ति (Kaku Vakrokti)
इसमें वाक्य में शब्दों का प्रयोग ऐसे तरीके से होता है कि उनका अर्थ पहले दिखाई देता है, और फिर वाक्य के अंत में उसकी असली अर्थ प्रकट होता है। इससे वाक्य को विशेषता और मनोहारीता मिलती है।
श्लेष वक्रोक्ति (Shlesh Vakrokti)
यह वक्रोक्ति अलंकार में शब्दों के अनेक अर्थों को एक साथ प्रस्तुत करने की विशेषता होती है। इसमें शब्दों का अशोधित अर्थ प्रदर्शित कर विचारों को गहराई दी जाती है।
ये अलंकार वाक्यों को अद्वितीयता और रोचकता से भर देते हैं और वाक्य को सौंदर्यपूर्ण बनाते हैं।
श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar)
श्लेष अलंकार एक विशेष प्रकार का शब्दालंकार है जो वाक्य में शब्दों के विभिन्न अर्थों को संकेतित करता है। इस अलंकार में शब्दों का प्रयोग उनके वास्तविक अर्थ के साथ होता है, लेकिन उनकी विशेषता या नई दृष्टि को प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। शब्दों के तात्पर्य में छुपी विशेषताओं को प्रकट करता है।
श्लेष अलंकार के कुछ उदाहरण हैं:
- “बच्चे गाड़ी में बैठे, खेलते-खिलाते अपनी मस्ती में थे।” – यहाँ ‘गाड़ी’ का एक अर्थ खिलौना होता है, लेकिन वाक्य के अंत में ‘खेलते-खिलाते’ से समझाया जा रहा है कि बच्चे गाड़ी में खिलवाड़ कर रहे थे।
- “मैंने अचानक उसका मुँह खोलते हुए देखा।” – यहाँ ‘मुँह खोलना’ का एक अर्थ बातचीत करना होता है, लेकिन वाक्य के अंत में ‘देखा’ से समझाया जा रहा है कि मैंने उसका चेहरा देखा।
श्लेष अलंकार वाक्य को एक नए और अनोखे दृष्टिकोण से दिखाता है और शब्दों के विभिन्न अर्थों को प्रस्तुत कर उनमें गहराई और रोचकता भरता है।
अर्थालंकार (Arthalankar)
अर्थालंकार में शब्दों का उपयोग उनके सांकेतिक अर्थ के साथ होता है।
अर्थालंकार के भेद (Arthalankar Ke Bhed)
- उपमा अलंकार
- रूपक अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- द्रष्टान्त अलंकार
- संदेह अलंकार
- अतिश्योक्ति अलंकार
- उपमेयोपमा अलंकार
- प्रतीप अलंकार
- अनन्वय अलंकार
- भ्रांतिमान अलंकार
- दीपक अलंकार
- अपहृति अलंकार
- व्यतिरेक अलंकार
- विभावना अलंकार
- विशेषोक्ति अलंकार
- अर्थान्तरन्यास अलंकार
- उल्लेख अलंकार
- विरोधाभाष अलंकार
- असंगति अलंकार
- मानवीकरण अलंकार
- अन्योक्ति अलंकार
- काव्यलिंग अलंकार
- स्वभावोती अलंकार
उपमा अलंकार (Upma Alankar)
उपमा अलंकार एक विशेष शब्दालंकार है जो एक वस्तु को दूसरी वस्तु से तुलित करके वाक्य को सुंदर और रोमांचक बनाता है। इसमें वाक्य में उपमेय और उपमान का संदर्भ होता है।
उपमा अलंकार के भेद (Upma alankar ke Bhed)
पूर्णोपमा (Poornopma)
इसमें उपमेय और उपमान दोनों का स्पष्ट संबंध होता है
जैसे – “उसके हाथों की सौंदर्य की मिसाल, चाँदनी में छुपी होती है।”
लुप्तोपमा (Luptopma)
इसमें उपमान का स्पष्ट संदर्भ नहीं होता
जैसे – “राम की बुद्धि, चाणक्य के बराबर है।”
उपमा अलंकार के अंग
उपमेय
वह वस्तु जिसको दूसरी वस्तु से तुलित किया जाता है।
उपमान
वह वस्तु जिससे तुलना की जाती है।
वाचक शब्द
जो शब्द तुलना का संदेश देते हैं।
साधारण धर्म
वो समानता जिसके आधार पर तुलना होती है।
रूपक अलंकार (Rupak Alankar)
रूपक अलंकार एक विशेष प्रकार का शब्दालंकार है जो वाक्य में विविध रूपों में तुलना करके वाक्य को सुंदर बनाता है। इसमें शब्दों का प्रयोग रूपों की तुलना में किया जाता है जो वाक्य को रोमांचक बनाता है।
रूपक अलंकार के भेद (Rupak Alankar Ke Bhed)
1. साम रूपक: इसमें तुलना में उपयोग किए गए रूपक का उपमेय और उपमान दोनों ही वास्तविकता में होते हैं।
उदाहरण: “वह शेर है, जो वन में राजा के समान है।” यहाँ ‘शेर’ वास्तविक शेर होता है जो ‘राजा’ के समानता का उपमेय है।
2. अधिक रूपक: इसमें उपमान में तुलना की जाने वाली विशेषताओं की अधिकता होती है।
उदाहरण: “उसकी चाल, मिसाल से भी ऊंची है।” यहाँ ‘चाल’ की विशेषता ‘मिसाल’ से अधिकता को दर्शाती है।
3. न्यून रूपक: इसमें उपमान में तुलना की जाने वाली विशेषताओं की कमी होती है।
उदाहरण: “उसकी मुस्कान, सूरज से भी कम है।” यहाँ ‘मुस्कान’ की कमी ‘सूरज’ के समानता को दर्शाती है।
रूपक अलंकार वाक्य को अद्वितीयता और रंगीनीता से भर देता है, और वाक्य को सौंदर्यपूर्ण बनाता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार (Utpreksha Alankar)
उत्प्रेक्षा अलंकार भाषा का एक विशेष प्रकार है जिसमें वाक्य में किसी विचार को प्रस्तुत करने के लिए उसकी अत्यंतता या कमी का संदर्भ दिया जाता है। इसमें एक विचार की तुलना में दूसरे विचार को उच्चता या कमी के रूप में दिखाया जाता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार के भेद (Utpreksha Alankar Ke Bhed)
1. वस्तुप्रेक्षा: इसमें दो विचारों की तुलना में कोई विचार उच्चता या कमी के रूप में उभरता है।
“उसकी ताकत, पहाड़ों से भी बड़ी है।” यहाँ ‘ताकत’ की तुलना ‘पहाड़ों’ से की गई है।
2. हेतुप्रेक्षा: इसमें किसी विचार के पीछे होने वाली वजह का संदर्भ दिया जाता है।
“इसलिए वह अच्छी शिक्षा नहीं पा सका, क्योंकि उसके पास धन नहीं था।” यहाँ ‘धन की कमी’ हैतु का संदर्भ कर रही है।
3. फलोत्प्रेक्षा: इसमें किसी कार्य के होने के परिणाम का संदर्भ दिया जाता है।
“वह कामयाबी की ऊँचाइयों को छू गया, इसलिए उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।” यहाँ ‘कामयाबी’ के परिणाम का संदर्भ किया गया है।
दृष्टांत अलंकार (Drishtant Alankat)
दृष्टांत अलंकार में वाक्य में एक विचार को दूसरे विचार से तुलना करके वाक्य को सुंदर बनाया जाता है। इसमें उदाहरण (दृष्टांत) का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के रूप में किसी कथा, कहानी, या घटना का उल्लेख किया जाता है।
जैसे: “उसकी साहसी क्रीड़ा, जैसे श्रीकृष्ण की मिश्रील खेलते थे।”
संदेह अलंकार (Sandeh Alankar)
संदेह अलंकार में वाक्य में संदेह या अनिश्चय का वर्णन किया जाता है। यह वाक्य को विचारशीलता और गहराई से भर देता है।
जैसे: “क्या उसकी कल्पना सत्य हो सकती है?”
अतिशयोक्ति अलंकार (Atishyokti Alankar)
अतिशयोक्ति अलंकार में शब्दों का अत्यधिक या अधिकाधिक प्रयोग किया जाता है, जो वाक्य को अधिक प्रभावशाली बनाता है।
जैसे: “वह लड़का बहुत प्यासा था।”
उपमेयोपमा अलंकार (Upmeyopma Alankar)
उपमेयोपमा अलंकार में एक वस्तु को दूसरी वस्तु से तुलित करके वाक्य को रोमांचक बनाया जाता है। इसमें उपमेय (तुल्य) और उपमान (वस्तु या व्यक्ति जिससे तुलना की जाती है) का संदर्भ होता है।
जैसे: “उसका हौसला सोने से कम नहीं था।”
उभयालंकार (Ubhyalankar)
उभयालंकार वाक्य को सुंदर बनाने वाला एक शब्दालंकार है जो एक वाक्य में शब्दों का प्रयोग दोहराया जाता है। इस अलंकार में वाक्य में दोहरे शब्दों का प्रयोग होता है, जो वाक्य को सुन्दर और प्रभावशाली बनाता है। यह अलंकार भाषा में सौंदर्य और रस को बढ़ावा देता है और वाक्य को प्रभावशाली बनाता है। वाक्यों में शब्दों के दोहराव के माध्यम से भावनाओं को गहराई दी जाती है।
उदाहरण: “उसकी मुस्कान में खुशी थी, और आँखों में खुशी थी।”
View Also- माझा अवडता चांद निबंध मराठीत
उभयालंकार के भेद (Ubhyalankar Ke Bhed)
संसृष्टि
संसृष्टि में दो या दो से अधिक अलंकार इस प्रकार संयोजित होते हैं कि उनका स्वरूप स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है। वे एक-दूसरे में विलीन नहीं होते, बल्कि अलग-अलग अस्तित्व बनाए रखते हुए मिलकर एक समग्र प्रभाव उत्पन्न करते हैं। इसका उदाहरण देखिए:
उदाहरण: “चंचल कमलनयन की ओर दृष्टि पड़ते ही मन मोह में वशीभूत हो गया।”
इस वाक्य में दो अलंकार हैं – उपमा और रूपक। कमल के समान चंचल नयन वाला प्रियतम की ओर देखते ही मन का वशीभूत होना उपमा है, जबकि कमलनयन को सीधे प्रियतम के नयन के रूप में प्रस्तुत करना रूपक है। दोनों अलंकार अलग-अलग पहचाने जा सकते हैं और मिलकर सौंदर्य का प्रभाव बढ़ाते हैं।
संकर
संकर में दो या दो से अधिक अलंकार इतने घनिष्ठ रूप से जुड़े होते हैं कि उन्हें अलग-अलग पहचानना कठिन हो जाता है। वे एक-दूसरे में इस तरह घुल-मिल जाते हैं कि एक नया ही अलंकार बन जाता है, जिसका स्वरूप दोनों के योग से भिन्न होता है। इसका उदाहरण देखिए:
उदाहरण: “प्रेम की ज्वाला में तड़पता हुआ हृदय मानो तिनके की तरह जल रहा था।”
इस वाक्य में उपमा और रूपक दोनों का योग है। तड़पते हुए हृदय की तुलना जलते हुए तिनके से करना उपमा है, लेकिन “ज्वाला में” शब्द हृदय को वाकई जलते हुए तिनके के रूप में प्रस्तुत कर देता है, जो रूपक का तत्व है। इस तरह दोनों अलंकार इतने घुल-मिल गए हैं कि उन्हें अलग पहचानना मुश्किल है।
FAQs
अलंकार क्या होते हैं?
अलंकार भाषा में विशेषता और सौंदर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं, जो वाक्य या शब्दों को रोमांचक और प्रभावशाली बनाते हैं।
अलंकार कितने प्रकार के होते हैं?
अलंकार के तीन प्रकार होते है – शब्दालंकार, अर्थालंकार और उभयालंकार।
अलंकारों का क्या महत्त्व होता है?
अलंकार भाषा को सुंदरता, गहराई और प्रभावशीलता प्रदान करते हैं, जो वाक्यों को अद्वितीय और सुंदर बनाते हैं।
अलंकारों के क्या उदाहरण हो सकते हैं?
“उसकी आँखों में सितारों की चमक थी” और “उसका मन सागर से भी गहरा था” जैसे वाक्य अलंकार के उदाहरण हो सकते हैं।
-
Is JEE Advanced Required for NIT?
-
Shree Ram Quotes in Sanskrit
-
Why JEE Advanced is so Tough?
-
Shiv Shlok in Sanskrit