Upma Alankar – उपमा अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

उपमा अलंकार” शब्द ‘उपमा’ और ‘अलंकार’ दोनों ही संस्कृत शब्दों से बना है। यह एक कविता या प्रोस के रूप में भाषा को सजाने का एक अलंकार होता है जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति की तुलना किसी दूसरी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति से की जाती है। इस अलंकार में किसी भी वस्तु या व्यक्ति की विशेषताओं की तुलना दूसरी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति से की जाती है।

उपमा अलंकार में, एक व्यक्ति या वस्तु की गुण, विशेषता, या लक्षणों को किसी दूसरी वस्तु या व्यक्ति से तुलित किया जाता है। यह अलंकार किसी चीज़ की स्थिति, व्यक्तित्व, या गुणों को समझने में सहायता प्रदान करता है और उसे पढ़ने वाले को अधिक रुचिकर बनाता है।

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इस अलंकार का उपयोग कविताओं, कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, और अन्य साहित्यिक रचनाओं में किया जाता है ताकि पाठकों को अधिक समझने और आकर्षित करने में मदद मिल सके।

उपमा अलंकार के अंग

उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं – उपमेय, उपमान, वाचक शब्द, और साधारण शब्द।

“उपमा अलंकार” में “उपमेय” एक अंग है जो वह व्यक्ति या वस्तु होती है जिसकी तुलना की जाती है। यह वह व्यक्ति या वस्तु होती है जिसके गुणों, विशेषताओं या लक्षणों को बयान करने के लिए उपमा का उपयोग होता है। उपमेय का उदाहरण: “उसकी हँसी मिठाई की तरह मीठी थी।” यहाँ “उसकी हँसी” उपमेय है और “मिठाई” उपमा है, जिसे हँसी की तुलना में प्रयोग किया गया है।

उपमान अलंकार में “उपमान” वह वस्तु होती है, जिसे तुलित किया जाता है। यह वह वस्तु होती है जिसके लिए तुलना की जाती है। उपमान का उदाहरण: “उसकी हँसी मिठाई की तरह मीठी थी।” यहाँ “मिठाई” वह वस्तु है जिसके लिए हँसी की तुलना की गई है।

यह अंग उपमा अलंकार में उपमा का उपयोग करता है। वाचक शब्द वह शब्द होता है जिसका उपयोग तुलना करने के लिए होता है। इसमें मुख्य शब्द जिसकी तुलना होती है, उपमान कहलाता है और उसके लिए उपमित कहा जाता है। वाचक शब्द का उदाहरण: “उसकी हँसी मिठाई की तरह मीठी थी।” यहाँ “हँसी” वाचक शब्द है जिसे तुलना में मिठाई का उपयोग किया गया है।

यह अंग वह गुण होता है जो उपमा अलंकार में तुलना की जाने वाली दोनों वस्तुओं में साझा होता है। यानी उन गुणों को साधारण रूप से समझा जाता है जो दोनों वस्तुओं में होते हैं और जिनकी तुलना की जाती है। साधारण धर्म का उदाहरण: “उसकी हँसी मिठाई की तरह मीठी थी।” यहाँ “मीठाई” और “हँसी” दोनों में मीठाई की मिठास या मीठापन साधारण धर्म है जो तुलना की गई है।

“उपमा अलंकार” के भेदों को उपमेय, उपमा, वाचक शब्द और साधारण धर्म के आधार पर विस्तार से समझाया जा सकता है:

  • पूर्णोपमा (Poornopma): पूर्णोपमा में, उपमेय, उपमा, वाचक शब्द और साधारण धर्म सभी मौजूद होते हैं। यहाँ पूर्ण तरीके से व्यक्त किया जाता है कि उपमेय की तुलना उपमा के सभी गुणों या विशेषताओं के साथ की जा रही है।
उदाहरण: - जैसे सूरज चमकता है, वैसे ही उसकी मुस्कान भी सर्वोत्तम है।
  • लुप्तोपमा (Luptopma): “लुप्तोपमा” में किसी भी एक या दो अंगों में से उपमेय, उपमा, वाचक शब्द और साधारण धर्म का अभाव होता है। इसमें उपमा अलंकार के अंगों में से कुछ अंग अवस्थित नहीं होते हैं। तुलना की जा रही वस्तु या व्यक्ति के गुणों का अधूरा या अपूर्ण वर्णन होता है।
उदाहरण: - जैसे कविता में छुपा रहता है, वैसे ही उसका दिल भी अनकहा रहता है।
  1. “मेरी कलम एक तलवार, शब्दों का जबरदस्त आधार।” – हरिवंश राय बच्चन
  2. “तुम बादल हो, मैं पानी, छूते जब छलक जाते हैं।” – गुलज़ार
  3. “उसकी मुस्कान चाँदनी रातों की तरह चमकती है।” – जवेद अख्तर
  4. “उसकी आँखों में छुपा सूरज का तेज आदमी।” – फैज़ अहमद फैज़
  5. “वो नाजुक पत्तियों की तरह, दिल का हाल बयाँ करता है।” – बशीर बद्र
  6. “तेरी मुस्कान सूरज की किरणों से भी चमकती है।” – हरिवंश राय बच्चन
  7. “उसकी बातों में छुपी बादलों की भीगी खुशबू होती है।” – प्रेमचंद
  8. “तेरी आँखों का गहरा नीला, समुंदर से भी गहरा है।” – हरिवंश राय बच्चन
  9. “तेरी बातों में छुपी नदियों की धारा, जिसमें बहता है प्यारा संसार।” – मधुशाला, हरिवंश राय बच्चन
  10. “वह तुझसे मिलने को, संगीत की सुरीली धुन।” – रामधारी सिंह ‘दिनकर’

उपमा और उत्प्रेक्षा अलंकार में क्या अंतर होता है?

उपमा अलंकार में किसी वस्तु या व्यक्ति की सीधी तुलना होती है, जबकि उत्प्रेक्षा अलंकार में विषय की प्रशंसा अथवा निन्दा के माध्यम से उसकी अपेक्षा दोस्तों, दुश्मनों, या व्यक्तियों के साथ की जाती है। यह उत्प्रेक्षा अलंकार भाषा के माध्यम से अपेक्षाएं प्रकट करता है, जबकि उपमा अलंकार तुलना के माध्यम से विशेषताओं को प्रकट करता है।

उपमा अलंकार का क्या मूल उद्देश्य होता है?

यह अलंकार किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषताओं को संदर्भित करके पाठकों की भावनाओं को प्रेरित करने का कार्य करता है।

उपमा अलंकार का क्या स्थान है भारतीय साहित्य में?

यह अलंकार भारतीय साहित्य में गहरी परंपरा रखता है और कविता, कहानी, या उपन्यास में भावनात्मकता और विवरण को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करने में मदद करता है।

उत्प्रेक्षा अलंकार क्या होता है?

उत्प्रेक्षा अलंकार वह साहित्यिक उपकरण है जिसमें विषय को सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से दर्शाया जाता है। इसमें किसी विषय को बिना तुलना के सीधे रूप से प्रस्तुत किया जाता है और विषय की विशेषताओं, गुणों या विचारों को बखूबी व्यक्त किया जाता है।

उपमा अलंकार के क्या भेद होते हैं?

“उपमा अलंकार” के दो मुख्य भेद होते हैं – पूर्णोपमा और लुप्तोपमा। पूर्णोपमा में, सभी अलंकार के अंग मौजूद होते हैं, जबकि लुप्तोपमा में, इनमें से कुछ अंग अवस्थित नहीं होते।

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