महाकालेश्वर मंदिर से जूडे कुछ रोचक तथ्य जो आपको हैरान कर देगा

महाकालेश्वर मंदिर के पीछे की कहानी क्या है?

महाकालेश्वर मंदिर के पीछे की कहानी क्या है?

          शिवा पुराण की कथा के अनुसार उज्जैन में राजा चंद्रसेन राज करते थे जो की बहुत बड़े शिव भक्त थे भगवन शिव के गणों में से एक मणिभद्र से उनकी मित्रता थी. एक दिन मणिभद्र ने राजा चंद्रसेन को एक अमूल्य चिंतामणि प्रदान की जिसको धारण करने से चंद्रसेन का प्रभुत्व बढ़ने लगा. यश और कीर्ति दूर दूर तक फैलने लगी.

          ये सब देख के दूसरे राज के राजा जलते थे उस कारन एक बार पडोसी राज के राजा रिपुदम ने राजा चंद्रसेन के महल और राज्य पर हमला करना शुरू कर दिया इस ही बिचा में दूषण नाम के राक्षस ने भी राज्य पर अतयाचार करना शुरू कर दिया राक्षस से पीड़ित हो कर पूरा राज्य भगवन शिव के शरण में गया, उन सब की भक्ति से प्रशन हो कर भगवान शिव धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और राक्षस का वध किया. कहाँ जाता है अपने भक्तो की रक्षा करने के लिये भगवान शिव हमेशा के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में उज्जैन में विराजमान हो गए.

किसने करवाया था महाकालेश्वर मंदिर का निर्माण | mahakaleshwar temple ujjain history

          अगर हम पौराणिक कथाओं की मानें कहाँ जाता है की यह मंदिर द्वापर युग में स्थापित किया गया था । इस मंदिर को 800 से 1000 साल प्राचीन माना जाता है। जबकि अगर हम वर्तमान में दिखाई देने वाले महाकाल मंदिर की बात करे तो उसको लगभग 150 साल पहले राणोजी सिंधिया के मुनीम रामचंद्र बाबा शेणबी ने उस समय में बनवाया था।

          हालांकि, उसके बाद श्रीनाथ महाराज महादजी शिंदे और महारानी बायजाबाई शिंदे ने इस मंदिर की समय-समय पर मरम्मत करवाई और कई महत्वपूर्ण बदलाव भी किए। कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में प्राचीन अवशेषों का भी प्रयोग किया गया है।

दर्शन के बाद लोग उज्जैन में क्यों नहीं रहते?

दर्शन के बाद लोग उज्जैन में क्यों नहीं रहते?

          यह कहना की उज्जैन में रात में कोई भी नहीं रुकता गलता होगा क्योंकी ये सच नहीं है, दर्शन के बाद हजारो लोग उज्जैन में रुका ते है । उज्जैन एक पवित्र शहर है और लाखों लोग यहां रहते हैं, जिनमें से कई दर्शन के लिए आते हैं और फिर यहीं बस जाते हैं। हालांकि, यह सच है कि कुछ मान्यताएं और कहानियां हैं जो लोगों को रात भर उज्जैन में रहने से रोकती हैं।

उस में से एक कारन ये भी है

          एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, विक्रमादित्य नाम का एक राजा था जिसने उज्जैन पर शासन किया था। एक बार, उन्हें देवी काली से युद्ध करना पड़ा और हार गए। हार के बाद, उन्होंने देवी से क्षमा मांगी और उनसे वादा किया कि वे शहर में कभी रात नहीं बिताएंगे। ऐसा कहा जाता है कि तब से, किसी भी राजा ने उज्जैन में रात नहीं बिताई, चाहे वे कितने ही शक्तिशाली क्यों न हों। यह मान्यता धीरे-धीरे राजनेताओं और अन्य सत्ता में रहने वालों तक फैल गई, और अब कई लोग रात भर उज्जैन में रहने से परहेज करते हैं।

भूत-प्रेतों का डर:

          उज्जैन को भूत-प्रेतों का शहर भी माना जाता है। कहा जाता है कि यहां कई रहस्यमय घटनाएं होती हैं और रात में अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। इस डर के कारण, कुछ लोग रात भर उज्जैन में रहने से घबराते हैं। हजारों लोग हर रात शहर में रहते हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है।

महाकालेश्वर में कौन सी नदी बहती है?

महाकालेश्वर में कौन सी नदी बहती है?

          द्वादश ज्योतिर्लिंगों मेसे एक, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग शिप्रा नदी के तट पर स्थित है क्षिप्रा, मध्यप्रदेश में बहने वाली एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक नदी है। इस नदी को मालवा की गंगा इस नाम से भी जाना जाता है। क्षिप्रा नदी भारत की कई पवित्र नदियों में से एक है। उज्जैन में कुम्भ का मेला इसी नदी के किनारे लगता है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर भी यहां ही है।

          पुराणों में ऐसा लिखा है की क्षिप्रा नदी के स्मरण करने मात्र से से ही मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 196KM बहने के बाद मंदसौर में चंबल मे मिल जाती है। खान नदी और गम्भीर इसकी सहायक नदियां है| सिंहस्थ २०१६ में क्षिप्रा अविरल बहती रहे इसलिए इसमें नर्मदा का जल,नर्मदा-क्षिप्रा लिंक प्रोजेक्ट के माध्यम से उज्जैनी में छोड़ा जा रहा है।

महिलाओं को भस्म आरती देखने की अनुमति क्यों नहीं है?

          हर रोज महाकालेश्वर मंदिर में  होने वाले बाबा भोलेनाथ की भस्म आरती में महिलाओं के लिए कुछ विशेष नियम हैं। जिस वक्त बाबा भोलेनाथ पर भस्म चढ़िए जाती है उस वक्त जितने भी महिलाओं भस्म आरती के वक्त उधर होती है उन सब महिलाओं को उस वक्त घूंघट करने को कहा जाता है।

           पुराण वक्त से ऐसा मान्‍यता है कि उस वक्त भगवान शिव निराकार रूप में होते हैं। और उन के इस रूप के दर्शन महिलाओं को दर्शन करने की अनुमति महिलाओं को नहीं दी जाती है। इसलिए वहां पर मौजूद पंडित भी वह जीतनी महिलाओं उस आरती में होती उन सब को इस आरती के समय घूंघट करने को कहते हैं।

क्यों की जाती है बाबा महाकाल की भस्म आरती

mahakaleshwar bhasma aarti

          उज्जैन में बाबा भोलेनाथ की मंदिर महाकालेश्वर में होने वाली बाबा महाकाल की भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है। इस आरती को देखने वाला भक्त बहुत ही ज्यादा भाग्यशाली मने जाते है। महाकालेश्वर मंदिर में प्राचीन काल से  बाबा भोलेनाथ की भस्म आरती की परंपरा चली आ रही है। इसे मंगला आरती भी बोला जाता है । महाकालेश्वर यह अकेला एक ऐसा मंदिर है जहां भस्म के द्वारा बाबा की आरती की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस आरती में जो भी लोग शामिल होते है उन की सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। रोज़ाना सुबह महाकाल के श्रृंगार से पहले उनकी भस्म आरती की जाती है।

          श्रद्धालुओं के लिए यह भस्म आरती एक बेहद खूबसूरत पल होता है। जहां लोगों को अपने भगवान के इस अनोखे रूप में दर्शन प्राप्त होते हैं। पहले कई सालों तक यह आरती शमशान की भस्म से की जाती थी। पर अब के समय पर यह आरती गोबर के उपलों और अमलतास, शमी, पीपल, पलास, बड़ व बेर की लकड़ी को जलाकर उसकी राख से की जाती है। जो भी भक्त इस आरती में शामिल होते है बाबा भोलेनाथ उन  भक्तों को उनके कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और बाबा महाकाल का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा कहते हैं कि भस्म आरती  देखे बिना बाबा महाकाल के दर्शन पूरे नहीं होते हैं।

FAQ'S

Frequently Asked Questions
1. where is mahakaleshwar temple ?

Mahakaleshwar Temple is located in the city of Ujjain, in the Indian state of Madhya Pradesh. Ujjain is one of the oldest cities in India and holds great historical and religious significance. The temple itself is situated on the banks of the sacred Kshipra River, which is also an important site for various Hindu rituals and festivals.

 

The Bhasma Aarti at Mahakaleshwar Temple is a sacred ritual where the deity, Lord Shiva, is adorned with ashes (bhasma) during early morning prayers. It is considered highly auspicious and attracts devotees from all over India.

He exact age of Mahakaleshwar Temple is not definitively known, but it is believed to have ancient origins dating back several centuries.

The Bhasma Aarti at Mahakaleshwar Temple usually takes place early in the morning, around 4:00 AM. Devotees gather well before dawn to witness this sacred ritual.

Tickets for the Bhasma Aarti can be booked online through the official website of Mahakaleshwar Temple or in person at the temple’s booking counters. Advance booking is recommended due to high demand.

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