Mahadev Essay In Hindi

Mahadev Essay In Hindi |

भगवान शिव पर निबंध | in 300 + words


 (welcome in Mahadev Essay In Hindi) कौन है महादेव? क्या वे, एक भगवान है? क्या फिर एक पौरानीक कथा? वो देवो के देव महादेव हैं। शिव का ना कोई आदि है, ना अंत, ऐसे कहा जाता हैं। 

भगवान् शंकर चिताओं की भस्म क्यों लगाते है? और श्मशान में क्यों रहते है?

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आप लोगो के मन में यह प्रश्न आ रहा होगा की हमारे धर्म में भगवान शंकर को भस्म लगाए हुए दिखाया जाता है। वे अपने मस्तक और पुरे शरीर पर भस्म लगा कर रखते है, यह एक विशेष स्वभाव को दर्शाता है। जो भस्म वे लगाते है वो आम लोगो की नहीं अपितु संत और महापुरुषों की चिताओं का भस्म है, यहाँ महापुरुष अर्थात वो नहीं जिसने स्वयं का विकास किया हो बल्कि वह महापुरुष जिन्होंने भगवत कार्यों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया हो। भगवान शिव को श्मशान वासी भी कहा जाता है, परन्तु क्या भगवन शिव सबके लिए श्मशान में रहतें है? इसका भी उत्तर ना है। वे केवल उन्ही लोगो के लिए श्मशान में आतें है जिन्होंने समाज कल्याण के लिए अपने कदम आगे बढ़ाये हो। जो व्यक्ति काम, क्रोध , मध्,मोह और मत्सर से परे स्वयं का नहीं अपितु पुरे समाज के लिए कार्य करता है वही भगवन शिव को प्रिय है। उन्ही के लिए वे श्मशान में जाते है और उन्ही महापुरुषों की भस्म वे अपने देह पर लगाते है।

क्या शिव ही शुन्य है?

आज के आधुनिक विज्ञान ने कहा है की, जो इस धरती पर शून्य से आता है, वो शून्य से ही चले जाता है, इस अस्तित्व का आधार और पूरे ब्रह्मांड का मूल गुण एक विशाल शून्यता है। इसमें मौजूद आकाश गंगाएं बस छोटी-मोटी हलचल हैं, जैसे बारिश की बूंदें। इसके अलावा, सब कुछ खालीपन है, जिसे शिव कहा जाता है। शिव ही वह स्तोत्र हैं, जिससे सब कुछ जन्म लेता है, और वही वह अज्ञात है, जिसमें सब कुछ वापस समा जाता है। सब कुछ शिव से आता है और फिर से शिव में विलीन हो जाते है।
 

शिव का अंधकार क्या है ?

शिव का अंधकार उस अनंत और अज्ञात शून्यता का प्रतीक है,
जैसे मानवता हमेशा प्रकाश के गुण गाती है, क्योंकि उनकी ऑंखें सिर्फ प्रकाश में काम करती हैं। वरना, सिर्फ एक चीज़ जो हमेशा है, वो अंधेरा है। वैसे ही शिव का प्रकाश अंधकर के अंधेरे में, अंधेरा ही शिव का प्रतीक है।

आदियोगी शिव का अर्थ – पहले योगी और पहले गुरु

आदियोगी शिव का अर्थ है “पहले योगी” और “पहले गुरु”। इसका विवरण इस प्रकार है:
1. पहले योगी: आदियोगी शिव को पहले योगी के रूप में माना जाता है क्योंकि उन्होंने सबसे पहले योग का अनुभव और ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने योग के विभिन्न रूपों और प्रणालियों को आत्मसात किया और इन्हें समझने और अपनाने की दिशा में मार्गदर्शन दिया।
 
2. पहले गुरु: आदियोगी शिव को पहले गुरु के रूप में भी माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने सात शिष्यों, जिन्हें सप्तऋषि कहा जाता है, को योग का ज्ञान दिया। इन सप्तऋषियों ने योग का ज्ञान पूरी दुनिया में फैलाया।
 
इस प्रकार, आदियोगी शिव योग और अध्यात्म के प्रथम स्तोत्र और मार्गदर्शक हैं, जिन्होंने मानवता को आत्मज्ञान और मुक्ति की दिशा में अग्रसर किया।

शिव- एक ही शब्द के दो अर्थ

शिव शब्द के दो अर्थ हो सकते हैं:
 
1. विनाशक और पुनर्जन्मदाता: शिव को विनाश के देवता के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह विनाश नया सृजन और पुनर्जन्म का मार्ग भी प्रशस्त करता है। उनके विनाशक रूप का उद्देश्य हमेशा सृजन और पुनःनिर्माण है।
 
2. कल्याणकारी: शिव का एक और अर्थ है ‘कल्याणकारी’। वे संपूर्ण ब्रह्मांड के कल्याण के प्रतीक हैं। उनका उद्देश्य सभी जीवों का भला करना और उन्हें मुक्ति की ओर ले जाना है।
 
इस प्रकार, शिव विनाश और पुनर्निर्माण के साथ-साथ कल्याण और मुक्ति का भी प्रतीक हैं।

शिवलिंग क्या है?

शिवलिंग हिंदू धर्म में भगवान शिव का एक प्रमुख प्रतीक है। यह एक अंडाकार आकार का पत्थर होता है, जिसे भगवान शिव का निराकार रूप माना जाता है। शिवलिंग के बारे में मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:
 
1. शक्ति और सृजन का प्रतीक: शिवलिंग भगवान शिव की शक्ति और सृजन का प्रतीक है। यह ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसके चक्र का प्रतीक माना जाता है।
 
2. लिंग और योनि का समन्वय: शिवलिंग के आधार को योनि (आधार) कहते हैं, जो माता शक्ति का प्रतीक है। यह शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है, जो सृष्टि की उत्पत्ति और जीवन की निरंतरता को दर्शाता है।
 
3. भक्ति का केंद्र: शिवलिंग की पूजा शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे जल, दूध, और बेलपत्र अर्पित करके पूजा की जाती है।
 
4. निराकार और साकार का समन्वय: शिवलिंग भगवान शिव के निराकार (निर्गुण) और साकार (सगुण) दोनों रूपों का समन्वय है। यह ध्यान और ध्यानयोग का केंद्र बिंदु भी है।
 
इस प्रकार, शिवलिंग भगवान शिव की अद्वितीयता और उनकी शक्ति का प्रतीक है, जो सृष्टि के हर पहलू को समेटे हुए है।

FAQ's

Frequently Asked Questions
शिव जी की कहानी क्या है?

भगवान शिव, जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, और नीलकंठ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उनके कई प्रमुख कथाएँ और पौराणिक कथाएँ हैं जो विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में पाई जाती हैं।

भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं और उनकी अनेक विशेषताएँ हैं जो उन्हें अद्वितीय बनाती हैं। यहाँ शिव जी की कुछ प्रमुख विशेषताएँ दी गई हैं:

1. त्रिनेत्रधारी (तीसरा नेत्र):

भगवान शिव के माथे पर तीसरा नेत्र है जो ज्ञान, अंतर्दृष्टि और विनाश का प्रतीक है। जब यह नेत्र खुलता है, तब विनाश होता है, जिससे नई सृष्टि का मार्ग प्रशस्त होता है।

2. महाकाल:

भगवान शिव को महाकाल भी कहा जाता है, जो समय के स्वामी हैं। वे काल (समय) से परे हैं और संहार के देवता हैं, जो ब्रह्मांड की पुनर्रचना के लिए आवश्यक विनाश का कार्य करते हैं।

3. भोलेनाथ:

शिव जी को भोलेनाथ कहा जाता है क्योंकि वे अपने भक्तों की पूजा और भक्ति से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। वे बहुत सरल और सहज स्वभाव के हैं।

 

पशुपति:

भगवान शिव को पशुपति कहा जाता है। ‘पशु’ का अर्थ है जीव या प्राणी, और ‘पति’ का अर्थ है स्वामी। शिव जी को पशुपति इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सभी जीव-जंतुओं और प्राणियों के स्वामी हैं। ‘पशु’ यहाँ अज्ञानता की स्थिति में जीवित प्राणियों का प्रतीक है, और भगवान शिव उन्हें ज्ञान और मुक्ति का मार्ग दिखाते हैं।

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