मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा

        मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है। यह शिव मंदिर दक्षिणी हिमाचल प्रदेश में स्थित है और शिव भगवान के पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। इसे अमरनाथ धाम का हिस्सा माना जाता है और यह प्राचीन काल से धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास क्या है?

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          सनातन धर्म में भगवन शिव की पूजा और आराधना करने वाले अनेक भक्त है ,मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव की श्रद्धा भाव के साथ पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।हमारे पुरे भारतब वर्ष में कुल १२ ज्योतिलिंग है जो देश के कोने कोने में विशाल मंदिरो के रूप में स्थापित है। भगवान शिव की इन १२ ज्योतिलिंगो का अपना अलग अलग महत्व है। इन १२ ज्योतिलिंगो को देकने के लिए भारत के कोने कोने से कई श्रद्धालु आते है। जिनमे से एक मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है जो आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है। हिन्दू धर्म के पुराणों में बताया गया है की मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव और पारवती जी एक साथ विराजमान है। हिन्दू धर्म में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को पवित्र मन गया है , श्री शैल पर्वत पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के १२ ज्योतिलिंग में से १ है। ऐसा माना जाता है कि इस पर्वत पर जो भी व्यक्ति भगवान शिव की पूजा करता है उसे अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है और उसकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाती हैं।

          मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास उस पौराणिक हिंदू कथा से जुड़ा हुआ है जब भगवान शिव के दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश में इस बात की शर्त लगी कि उनमें से बड़ा कौन है|और उनमे से सब से पहले विवाह किस की होगी.भगवान कार्तिकेय का मानना था कि वे भगवान गणेश से बड़े हैं।जबकि गणेश जी कहते थे कि वह कार्तिकेय से बड़े हैं। इस बात पर माता पार्वती और भगवान शिव ने कार्तिकेय और गणेश से कहा कि जो भी पृथ्वी की परिक्रमा लगाकर सबसे पहले हमारे पास आ जाएगा वही बड़ा होगा.इस बात को सुनकर कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल गए.लेकिन चूहे की सवारी करने वाले भगवान गणेश के लिए यह काम मुश्किल था भगवान गणेश बुद्धि के दाता माने जाते हैं.इसलिए उन्होंने अपनी बुद्धि का उपयोग किया और माता पार्वती और पिता शिव की सात बार परिक्रमा की इस तरह उन्हें पृथ्वी की परिक्रमा से प्राप्त होने वाले फल के अधिकारी बन गए.जब कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा कर वापस आए तब यह सब देख कर चौक गए.र्तिकेय जी को पता चला तो वो कैलाश छोड़ के क्रौंच पर्वत पर जाकर निवास करने लगे भगवान शिव और पार्वती जी ने कार्तिकेय को मानाने के लिए नारद जी को उनके पास भजा लेकिन कार्तिकेय नहीं माने,

           पुत्र मोह में पार्वती जी खुद कार्तिकेय को मानाने क्रौंच पर्वत पर चली गयी परन्तु र्तिकेय वह से चले गए। माता पार्वती हताश हो कर वही बैठ गईं। भगवन शिव ने माता पारवती को शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए और शिव जी का ये शिवलिंग मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रशिद्ध हो गया। इसका नाम मल्लिकार्जुन ऐसे पड़ा क्योंकि माता पार्वती के नाम से मल्लिका और भगवान शिव का नाम अर्जुन से भी जाना जाता है।

मल्लिकार्जुन में कौन सी नदी है?

         आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। अनेक धर्म पुराण में इस स्थान की खाशियत बतायी गई है। कृष्णा नदी कृष्णामल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास से होकर बहती हैऔर इस कृष्णा नदी की पवित्रता पुरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है।कई तीर्थयात्री नदी में स्नान करते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिर में दर्शन करते हैं। ऐसा मन जात्ता है की नदी में स्नान करने से भगवान शिव की कृपा भक्तो पर बानी रहती है।

          महाभारत में बताया गया है की श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। कुछ ग्रन्थों में बताया गया है की कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से दर्शको के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, उसे अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है और सभ परेशनी के चक्कर से मुक्त हो जाता है।
कृष्णा नदी मल्लिकार्जुन के धार्मिक महत्व को बढ़ाती है और इसे तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बनाती है। जिसे देखने के लिए विश्व के हर कोने कोने से लोग शिवलिंग के दर्शन कर ने भारत में आते है। यह केवल भगवान शिव के प्रति भक्तो की भावना है जो इस मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को और भी प्रशिद्ध बनती है। मल्लिकार्जुन के कृष्णा नदी के आसपास कुछ अन्य नदियाँ भी हैं, जैसे कि हलदर नदी और कुमदवती नदी। परन्तु कृष्णा नदी सबसे महत्वपूर्ण नदी है और कृष्णा नदी और मल्लिकार्जुन मंदिर के बिच में कुछ विशेष संबंध है। मल्लिकार्जुन मंदिर के साथ साथ कृष्णा नदी को भी पूरी श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। ये कृष्णा नदी अपने आप में ही एक अनोखी नदी है।

हैदराबाद के पास कौन सा ज्योतिर्लिंग है?

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           भगवान शिव के यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है,जो भगवान शिव के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। ये मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग मंदिर जो सब से पवित्र ज्योतिलिंग मन जाता है। यह मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग मंदिर जो माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित हैं। हिन्दू पुराणों में ऐसा कहा जाता है की भगवान शिव ने माता पार्वती जी को दर्शन इसे शिवलिंग के रूप में दिय था। हर साल लाखों तीर्थयात्री इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने आते हैं। लोगो की श्रद्धा इस शिवलिंग से बहुत अधिक है। लोगो का यह भी मानना है की शिवलिंग के दर्शन मात्र उनके सभी बिगड़े काम और उनकी सारी परेशानी दूर हो जायगी।


          यह ध्यान रखना जरुरी है कि हैदराबाद में कोई ज्योतिर्लिंग नहीं है। हैदराबाद के पास केवल एक ही ज्योतिर्लिंग है,जो मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है, हैदराबाद से ज्योतिर्लिंग की दुरी 210 किलोमीटर है। हैदराबाद के पास स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग जिसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग मंदिर सभी ज्योतिलिंगो से सबसे ऊंचा शिवलिंग है। इस मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग मंदिर के पास बहती कृष्णा नदी की पवित्रता पुरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। और हर साल इसे देखने और दर्शन के लिए लाखों तीर्थयात्री भारत आते है।

4. श्रीशैलम मल्लिकार्जुन कौन से राज्य में है?

          मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। यह ज्योतिलिंग श्रीशैलम मल्लिकार्जुन भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है। यह राज्य के कृष्णा जिले में श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है और हर साल लाखों तीर्थयात्री यहां भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। इस मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग से हिन्दू धर्म की बहुत साडी कहानिया जुडी हुए है। इस मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग मंदिर का परिसर खूब प्रभावशाली है।

श्रीशैलम मल्लिकार्जुन पीछे की कहानी क्या है?

           आंध्र प्रदेश में मौजूद श्रीशैलम मंदिर इन्हीं विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। कृष्णा नदी के तट पर मौजूद यह मंदिर दक्षिण भारत के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी बेहद प्रसिद्ध है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को ‘दक्षिण के कैलाश’ के नाम से भी जनता है। 

         श्रीशैलम मंदिर का इतिहास सातवाहन राजवंश से जोड़ा जाता ह। ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण दूसरी शताब्दी से पूर्व किया गया था। कई लोग इस पवित्र मंदिर को विजयनगर साम्राज्य के राजा हरिहर प्रथम के समय से भी जोड़कर देखते हैं। श्रीशैलम मंदिर की कहानी बेहद ही दिलचस्प है। कहा जाता है की गणेश जी को कार्तिकेय से पहले विवाह करनी थी , इस बात से भगवान शिव और मता पार्वती बहुत चिंतित थे। उन्होने एक उपाय सुझाया की जो सबसे पहले पुरे पृथ्वी का चक्कर लगा कर वापस आएगा उसका विवाह पहले होगा। इसके बाद कार्तिक ने परिक्रमा शुरू कर दी लेकीन, गणेश जी बुद्धि के तेज थे और उन्होंने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा करके उन्हें पृथ्वी के सामान बताया और उनकी शादी पहले हो गई।इस खबर को सुनकर कार्तिकेय क्रंच पर्वत पर चले गए और जब पार्वती मनाने गई तो वो रूठ कर चले गए। इस बात पर पार्वती जी नजार होकर वो इसी जगह बैठ गई। तब शिव जी पार्वती को मनाने के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए। जिसके बाद यह स्थान श्रीशैलम मल्लिकार्जुन के नाम से प्रसिद्ध हो गया। हिन्दू पुराणों में ऐसा मन जाता है की श्रीशैलम श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर 18 महाशक्ति पीठों में से एक है।

6 .श्रीशैलम क्यों प्रसिद्ध है?

          श्रीशैलम अपनी कई विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है ,श्रीशैलम अपनी अनेक धार्मिक कार्यकर्म की वजह से बहुत प्रशिद्ध है। जैसे की महा पूजा करना ,अभिषेक करना और आरती जैसी और धार्मिकता की वजह से प्रसिद्ध है। अनेक श्रद्धालु श्रीशैलम में तीर्थयात्रा करने के लिए भी आते है। और श्रीशैलम मल्लिकार्जुन से जुडी कृष्णा नदी में स्नान कर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं मांगते है और ऐसा भी कहा जाता है की जो मन से भगवान शिव की आराधना करता है उसकी सभी मनोकामना भगवान शिव खुद पूरी करते है। श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के अलावा भी कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं, जैसे कि भ्रमराम्बिका मंदिर, शिवलिंग मंदिर, और गणेश मंदिर। श्रीशैलम जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। पहाड़ी क्षेत्र घने जंगलों, झरनों और गुफाओं से भरा हुआ है। 

           और भी बहुत कुछ है जो श्रीशैलम को और भी सुंदर बनाते है। पवित्र कृष्णा नदी श्रीशैलम से होकर बहती है और क्षेत्र को अपनी सुंदरता प्रदान करती है। श्रीशैलम में टाइगर रिजर्व, जो श्रीशैलम पहाड़ियों में स्थित है, बाघों, हाथियों, और अन्य वन्यजीवों का घर है।जिससे श्रीशैलम की सुंदरता और भी बढ़ के आती है।

7. श्रीशैलम में शिव का कौन सा भाग है?

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           श्रीशैलम में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का प्रकाशमय स्वरूप माना जाता है। श्रीशैलम में भ्रमराम्बिका मंदिर भी है,जिसे देवी पार्वती को समर्पित किया गया है। भगवान शिव और देवी पार्वती अविभाज्य हैं,इसलिए यह कहा जा सकता है कि श्रीशैलम में भगवान शिव का पूर्ण स्वरूप मौजूद है। मल्लिकार्जुन का अर्थ है फूलो का स्वामी , लोगो का कहना है की यहाँ भगवान शिव फूलो से ढके होते है। और भ्रमराम्बिका नाम का अर्थ है मधुमखी की रानी, देवी पार्वती को मधुमखी का रूप मन जाता है जो कमल में रहती है और वह कमल भगवान शिव धारण करते है श्रीशैलम को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। कैलाश पर्वत भगवान शिव का पसंदीदा स्थान है। श्रीशैलम भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत अनोखी जगह है। यहां, लोग भगवान शिव के पूर्ण रूप को देखने आते है और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

8. श्रीशैलम में कौन सा दर्शन अच्छा है?

          श्रीशैलम में घूमने लायक जगहें – मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर, ज्योतिर्लिंग मंदिर, श्रीशैलम बांध, पत्थल गंगा, ऑक्टोपस व्यूपॉइंट, अक्का महादेवी गुफाएं, इस्टा कामेश्वरी मंदिर और कई अन्य दर्शनीय स्थल। इन घूमने वाली जगहों के अलावा और भी जगह है जहा आप घूम सकते हो जैसे की -अन्नपूर्णा मंदिर,सूर्य मंदिर,चंद्र मंदिर,ब्रह्म मंदिर,कृष्णा नदी। भक्तों को मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से पहले नंदी के दर्शन अवश्य करने चाहिए। नंदी भगवान शिव का वाहन है और श्रीशैलम में इनका एक विशाल मंदिर है। जिसे देखने बहुत से लोग आते है।

9. श्रीशैलम मंदिर जाने के क्या फायदे हैं?

          श्रीशैलम मंदिर जाने के कई फायदे हैं- हरियाली, शांत जलाशय और झरने इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों या फिर प्रकृति की शांति में डूब जाना चाहते हों, हैदराबाद से श्रीशैलम की यात्रा एक यादगार अनुभव का वादा करती है जो आत्मा को तरोताजा कर देती है।

          ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी श्रीशैलम मंदिर में दर्शन करता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है, जो कि जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति है। सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान शिव को सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला माना जाता है। इसलिए, जो कोई भी श्रीशैलम मंदिर में सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। भगवान शिव को अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का देवता भी माना जाता है। इसलिए, जो कोई भी श्रीशैलम मंदिर में दर्शन करता है, उसे अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। श्रीशैलम मंदिर एक शांत जगह है। यहां आकर मन शांत होता है और तनाव दूर होता है। ये है श्रीशैलम मंदिर जाने के फायदे।

FAQ's

Frequently Asked Questions

मल्लिकार्जुन किसका प्रतीक है?

       कार्तिकेय के चले जाने पर भगवान शिव उसी पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और वे ‘मल्लिकार्जुन’ ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुए। बता दें ‘मल्लिका’ माता पार्वती का नाम है तो वहीं’अर्जुन’ भगवान शंकर को कहा जाता है। इस प्रकार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम ‘मल्लिकार्जुन’ पड़ा।

         अधिकांश मंदिरों के विपरीत, मल्लिकार्जुन मंदिर भक्तों को दूध से स्नान कराते समय शिवलिंग को छूने की अनुमति देता है। श्रीशैलम पहाड़ी को ‘दक्षिण के कैलाश’ के रूप में जाना जाता है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार कैलाश पर्वत शिव और पार्वती का घर है।

ज्योतिष शास्त्र में शिवलिंग को पुरुष तत्व बताया गया है. ऐसे में उसका स्पर्श महिलाओं के लिए वर्जित माना गया है. हालांकि जो महिलाएं अपनी श्रद्धा के चलते शिवलिंग को छूना चाहती हैं, उन्हें उसे नंदी मुद्रा में ही छूना चाहिए. 

शिवलिंग को प्रणाम कैसे करें?

    घर पर प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा के लिए सबसे पहले आचमन करें और फिर शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें. अब शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं. शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल और भोग आदि चढ़ाएं. पञ्चाक्षर मन्त्र ‘नमः शिवाय’ का 108 बार जाप करना चाहिए.

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