जल ही कल है 

सूखी धरती प्यासी रहती है, जल है तो कल है, प्यास बुझाती, हरियाली लाती है ।  

जब तक नदियाँ बहती हैं, उम्मीदें भी बहती हैं। जल है तो कल है, जीवन का राग गाती है । 

बूंद बूंद से मिलकर सागर बनता है, छोटी सी कोशिश भी कल को बदल सकती है।

जल बचाना धरती बचाना है, कल को हरा-भरा बनाना है। 

आज का बचाया जल, कल की प्यास मिटाएगा।  खुशियों का गीत गाएगा। 

पहाड़ों से निकलती धारा,  सूखे गालों पर हँसी लाए, जल ही तो है कल का निदान। 

हवा से बातें करती नदियाँ, मिट्टी से मिलकर गीत गातीं। जल ही तो है धरती की माँ, जिसके आँचल में उम्मीदें नाचतीं।