जगन्नाथ रथ यात्रा की कहानी विशेष और महत्वपूर्ण है। इसका महत्व पुराने कथाओं और पुराणों में विस्तार से वर्णित है।
कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने अपने प्रिय शिष्य और मित्र अर्जुन से कहा था कि वो प्रेम और सेवा की भावना से भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को अपने भवन में ले आएं।
अर्जुन ने भगवान की इस वाणी का अनुसरण किया और उन्होंने पुरी जाकर भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को अपने घर ले आया।
लेकिन अर्जुन के घर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति ने रात्रि में स्वयं को देखने का अवसर दिया और उन्होंने देखा कि वे पुरी वापस जा रहे हैं।
इसके बाद यह परंपरा शुरू हुई कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ प्रति वर्ष अपने मंदिर से उनके रथ में स्थापित की जाएंगी और वे इस रथ के माध्यम से अपने भक्तों के बीच यात्रा करेंगे।
यह रथ यात्रा भगवान के अपने प्रिय भक्तों के लिए एक विशेष दर्शन है और इसे देखने वालों को बड़ा ही पुण्य प्राप्त होता है।